सब घट मेरा साइयाँ

कबीर साहिब ने फ़रमाते है –

सब घट मेरा साइयाँ, सूनी सेज न कोय ||
बलिहारी वा घट्ट की, जा घट परघट होय||

भावार्थ – हर घट यानी शरीर के भीतर, मेरा ही परमात्मा (साइयाँ) निवास करता है।  कोई भी उससे (रब से) खाली नहीं है| जिसका मतलब यह है, परमात्मा का घर, कहीं बहार नहीं है, वह घर हम सब के अन्दर ही निवास करता है|

लेकिन उस घट यानी शरीर यानी जीव की बलिहार है, जिसके घट में वह (रब) प्रगट होता है।

 

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